Page 26 - Bhagavadgita Flipbook
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राग- ेष- वदािर ण कािर ण मोद सदा ।
भव-भय-हािर ण तािर ण परमान प्रदा ॥ ॐ जय भगव ीते ॥
आसुर-भाव- वना श न ना श न तम-रजनी ।
दैवी-सद् गुण-दा य न हिर-र सका सजनी ॥ ॐ जय भगव ीते ॥
समता- ाग- सखाव न हिर-मुखक वाणी ।
सकल शा क ा म न, श्रु तयोंक रानी ॥ ॐ जय भगव ीते ॥
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दया-सुधा-बरसाव न, मातु कपा क जै ।
हिरपद-प्रेम दान कर, अपनो कर ल जै ॥ ॐ जय भगव ीते ॥
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॥ इ त गीता आरती ॥ ॥ श्रीक ापर्णम ु ॥
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